उद्देश्य

मान्यवर ,
        वन्दे मातरम
हमारी योजना का उद्देश्य है की गाँवों को पूरी तरह जैविक बनाए; इसलिए इस योजना का नाम ही "जैविक ग्राम"  रखा गया है. इस योजना के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक लडके का चयन किया जाना है जो इस योजना को अपनी ग्राम पंचायत में संचालित करेगा  जिसक कार्यकर्ता को 1500 /- रु. प्रति माह मानदेय भी दिया जायेगा . जिसके द्वारा किसानों को प्रशिक्षण के साथ उचित मार्गदर्शन दिया जायेगा तथा खाद एवं कीट नाशक का वितरण भी करेगा  . अपनी ग्राम पंचायत में 80 % कम करने वाले कार्यकर्ता को ग्रामदुत पुरस्कार दिया जायेगा जो 25000 /- से 50000 /- रु. तक हो सकता है .तथा उस ग्राम पंचायत के सरपंच - सचिव को भी 5000 /- से 10000 /- रु. तक की राशी  अछे कार्य के लिए दी जाएगी . एवं ग्राम पंचायत में जैविक खेती करने वाले किसानों के बच्चो के लिए नि:शुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण की व्यवस्था की जायेगी .
             प्रत्येक 10 ग्राम पंचायत में एक स्वावलंबन केंद्र की स्थापना होगी इसके संचालन के लिए भी एक कार्यकर्ता को चयनित किया जायेगा जिसको 8000 /- रु. प्रति माह मानदेय होगा जिसके द्वारा ग्रामीणों को खाद एवं कीट नाशक की पूर्ति की जायेगी यह एक तरह से विक्रय केंद्र भी  होगा .यहाँ से ग्राम पंचायतों का रिकार्ड भी रखा जायेगा और ग्राम प्रोफाइल भी बनाई  जाएगी . इस केंद्र से ग्रामीण स्तर पर कार्य कर रहे कार्यकर्ता को मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण भी दिया जायेगा .ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने तथा केंद्र स्थापित करने  के  लिएइस पर आवेदन कर सकते है .
धन्यवाद !


  1. कृषि को बिकाउ नही टिकाऊ तथा कम खर्चीली व स्वावलंबी बनाना . 
  2. पशु व कृषि एक दूसरे पर अन्यान्योश्रित है . पशु उधोग से ही कृषि ज़िएगी - इस सिद्धांत को व्यवहार में मान्यता देना . 
  3. रासायनिक खेती को (विशेष छोटे व मझले किसान) जल्दी ही बिदाई दें तथा पशु आधारित खेती अपनाएँ. 
  4. वर्षा जल संरक्षण को जान आंदोलन का रूप देना.
  5. कृषि और उधोग के समन्वित विकास की योजना गाँव में चलाना .
  6. गौ को ग्रामीण अर्थ व्यवस्था व विकास की धुरी के रूप में विकसित करना. 
  7. पशु व सौर उर्जा को वैकल्पिक उर्जा श्रोत के रूप में विकसित करना. 
  8. ग्रामीण बेरोज़गारों , ग़रीबों तथा छोटे  कृषकों को व्यवसाय आधारित स्वयं सहायता समूहों के रूप में विकसित करना ,